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Nikhil Kumkum

Drama Inspirational

5.0  

Nikhil Kumkum

Drama Inspirational

मंज़िल मेरी राह न तक

मंज़िल मेरी राह न तक

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ऐ मंज़िल मेरी राह न तक,

मैं तुझसे वफ़ा न कर पाउँगा,

ऐ मंज़िल मेरी राह न तक,

मैं तुझसे बेवफाई कर जाऊँगा,

तेरी हर सखियों से मई,

रोज़ छिनता जाऊँगा !


ज़िन्दगी जो दे गई,

वो गीत गुन गुनाऊँगा,

और तेरी हर अज़ान को,

मैं धुन अपनी दे जाऊँगा !


चलते-चलते जब भी कभी,

मैं थक-सा जाऊँगा,

तेरी घर की चौखट पर,

अपनी शैय्या लगाऊंगा !


और ये जो तेरा बेदर्द साम्रज्य,

वो सब खतम हो जायेगा,

जब तेरी एक प्यास की मंज़िल,

मैं मंज़िल बन जाऊँगा,

मैं मंज़िल बन जाऊँगा !


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