STORYMIRROR

Nikhil Kumkum

Abstract

4  

Nikhil Kumkum

Abstract

परछाई

परछाई

1 min
486

है परछाई भी मतलब की साथी 

रौशनी में साथ निभाती है,

और अंधेरों के साए में 

खुद ही गुम हो जाती है।


चलना है तो साथ चलो 

वरना पीछे रह जाओगी

जब उतरूंगा साहिल से 

झील में ,

तुम सूखी रह जाओगी । 


  


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract