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sargam Bhatt

Abstract

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sargam Bhatt

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मनमोहक बसंत

मनमोहक बसंत

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फूल महके महक बिखेरे,

बसंत का आभास दिलाए।

बहे बयरिया जब मधुर मधुर,

काली कोयलिया गीत जो गाए।

देखो सखी बसंत ऋतु आए,

भंवरे अपनी गुंजार मचाए।

फूलों की कलियों पर बैठे,

भ्रमरे प्रेम की बात बताए।

अपने मन की बातें कहते,

कलियों में छुप छुप कर रहते।

कभी-कभी फूलों के संग में,

पूरी मनमोहक रात बिताए।

अंबर से उड़कर के तितली,

धरती पर है आई।

देख सजी फूलों की बगिया,

मंद मंद मुस्काए।



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