मंडी
मंडी
बड़ी अजीब सी थी मंडी
ना था जानवरों का मेला
ना मेज कुर्सियों से सजा ठेला
ना सामान से लदी दुकानें।
आ रही थी भीनी भीनी महक
जरा मंदी-मंदी
दुकानें समान से खाली थी
शानो शौकत उनकी बड़ी निराली थी।
एक दुकानदार मधुर मनोहर मुस्कान से मुस्कुराया
यहाँ साजन से मिलाई जाती है सजनी
साहब कैसे आप इधर आए
लड़का या लड़की
किस का रिश्ता हम आपको दिखाएं।
पहले अपने बारे में हमें विस्तार से बताएं
उसी के अनुसार रिश्ता हम दिखलाएं
आप कृपया बेटी के शिक्षा, गुण और संस्कार ना गिनवाएं
केवल अपनी हैसियत बताएं।
माया महारानी के आगे सब चलेगा
आप की बोली अनुसार डोली सजवा देंगे
सारा प्रबंध हमीं करवा देंगे।
रिश्ते का मापदंड पैसा, गलत नजर आया
सीने का रोष जुबां पर उतर आया
गुणों को अहम बताया
पैसों में तुलते रिश्तों को वहम बताया।
अगली दुकान का रुख अपनाया
उसके मुख ने वहीं दोहराया।
अरे! साहब यह रिश्तों की मंडी हैं
पैसा देता उन्हें हरी झंडी हैं
यहाँ रिश्तों का व्यापार होता हैं
हैसियत अनुसार व्यवहार होता हैं
एक से एक बड़ा खरीददार होता हैं
बिन रसूख सूनी मांग को
केवल भरने का इंतजार होता हैं।