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Kishan Negi

Action Classics Inspirational

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Kishan Negi

Action Classics Inspirational

मन की अभिलाषा

मन की अभिलाषा

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रूठे ना मन की अभिलाषा 

मरे न कभी जीने की आशा 

मायूस न हो कभी दिल तेरा 

कल फिर दमकेगा तेरा दिनकर


धड़कनों में मची है हलचल 

जैसे नदिया बहती कल-कल

तक़दीर जगाने आयी है तुझे

 देख चौखट पर खड़ी है तनकर


रिश्तों के धागे कभी न टूटे 

यारों का साथ कभी न छूटे 

पुरानी यादें उभर है आयी हैं 

बचपन के आँचल से छनकर


पतझड़ में पत्ते बिखर गए 

बसंत में फिर से निखर गए 

दर्द दम तोड़ देंगें कल तक 

फिर बरसेंगी खुशियाँ बन ठनकर


कुछ क़दम और चलना है 

धूप में थोड़ा और पिघलना है 

जब जलेगा अग्नि कुंड में 

फिर निखरेगा कुंदन बनकर।


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