STORYMIRROR

Dr.Beena Agrawal

Abstract Action Inspirational

4  

Dr.Beena Agrawal

Abstract Action Inspirational

सृष्टि

सृष्टि

1 min
238

इस सृष्टि को जानो तुम

पहचानो तुम।

कभी सोचा है तुमने

जब धरती पर पड़ती सूरज की किरणें

कली से बनता फूल 


अपनी खुशबु को फैलाता 

अपनी ओर आकर्षित करता 

 खींचता अपनी ओर 

 स्पर्श करने को मजबूर करता 


इस सृष्टि को जानो तुम 

पहचानो

रात की चांदनी में पड़ती ओस की बूंदें 

ऐसा लगता 

जैसे नृत्य करती परियां 

पहरा देता चंद्रमा 

तारों का टिमटिमाना 


लगता सखियों का साथ नाचना 

नदियों की कल-कल ध्वनि 

मन को भयभीत करती 

बादलों की रिमझिम बारिश 

मन को हर्षित करती 


झरनों की झनझनाहट 

आंखों को तृप्त करती 

इस सृष्टि को जानो तुम 

पहचानो तुम। 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract