एक नया इतिहास लिखेंगे
एक नया इतिहास लिखेंगे
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तुम हमे धिक्कारते हो,
हमको मलिन कहते हो,
हमे छूना तो दूर,
हमारी छाया से भी डरते हो,
तुम हमे इंसान नहीं
जानवरों से बदतर समझते हो।
तुम पत्थर को पूजा करते हो,
उन्हें सर माथे पर रखते हो,
ईश्वर से इतना प्रेम करते हो,
पर हमसे इतनी घृणा
इतनी नफरत करते हो,
इंसान होकर भला
हमे इंसान क्यों नहीं समझते हो?
सदियों से हमे दासता,गुलामी,
कुप्रथाओं के जाल में जकड़ा गया
हमारे अधिकारों को अहंकार के डंडे से कुचला गया,
छुआ छूत की बेड़ियां हमे पहनाकर,
हमारी भावनाओं को हेय दृष्टि से देखा गया।
पर अब ये विवशता हम नहीं सहेंगे,
अपनी किस्मत का लेखा जोखा
हम खुद तय करेंगे,
बहुत सह लिया हमने अब तक,
तुम्हारे अधर्मो,कुकर्मों उत्पीड़न को
हम पर हुए अत्याचारों और दमन को,
तुम्हारे दंभ को
मिट्टी में मिला कर दम लेंगे,
हम पुरजोर प्रतिकार करेंगे।
सदियों से घुटते रहें हैं,
समाज से बहिष्कृत हुए हैं,
गंदगी का सदृश बन,
हम अभिशप्त अछूत पड़े हैं।
पर अब ये दर्द नहीं सहेंगे,
तुम्हारी गुलामी की जंजीरों को
तुमसे ही छीन लेंगे,
तुम्हे नि:सहाय असीमित दर्द दे कर
इन जंजीरों में तुम्हे ही बांध कर
अपने हाथों की कठपुतली
बना कर दम लेंगे,
तुम्हे तुम्हारे पापों का दण्ड दिलाकर रहेंगे,
एक नया इतिहास लिखेंगे।