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हरि शंकर गोयल

Abstract Action Inspirational

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हरि शंकर गोयल

Abstract Action Inspirational

डराने वाले डरे हुए हैं

डराने वाले डरे हुए हैं

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डराने वाले डरे हुए हैं

या यों कहें कि 

डर के मारे मरे हुए हैं 

अक्ल से थोड़े 

सटके हुए हैं

प्राण हलक में 

अटके हुए हैं।


उनके चाहने से आ जाता था 

घाटी में भयंकर भूचाल 

जन्नत जैसी घाटी भी 

हो जाती थी खून से लाल लाल।


पुतलियां हिलाने से भी 

टूट पड़ती थी 

पत्थर बाजों की फौज 

देखते ही देखते गुम हो गई

उनकी नींद , शांति और मौज।


वो अब हाथ जोड़कर 

गिड़गिड़ा रहे हैं। 

कदमों पर सिर पटक पटक के 

रगड़ा खा रहे हैं।


चारों ओर ये शोर कैसा है 

जिधर देखो उधर ही 

फौजों का जोर कैसा है।

कुछ समझ नहीं आता 

कि ये राज क्या है 

" जय - वीरू " के कदमों का 

अंदाज क्या है 


चाहे कुछ हो या ना हो 

पर ये खौफ, बदस्तूर रहना चाहिए

जो देते थे खौफ औरों को 

उनका जीवन खौफ से भरपूर होना चाहिए।


काश्मीर की स्थिति देखकर

मेरा दिल बल्लियों उछल रहा है 

अब तो सचमुच लगने लगा है 

कि मेरा देश बदल रहा है।।



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