प्यारी बेबशी
प्यारी बेबशी
देखा है वो वक़्त ज्ञानी
रुक जाती है जुबानी
सिल जाते होंठ जहाँ
स्वयं नाप-तोल में
रूह से ये मन बोले
आंखों में ना आंखें डोले
सुनने है शब्द सांझे
बेचैनी माहौल में
तेवर की तीव्र होली
अंगारो जैसी रंगोली
घुल गई धुँआ भी तो
स्नेह के घोल में
अभिमानी गई जानी
सब मस्त दाना-पानी
शिख मैंने सिख लई
प्यार के ही बोल में
स्वयं नाप-तोल में जी
स्वयं नाप-तोल में।