मखमली रेशमी चादर चाहिए !
मखमली रेशमी चादर चाहिए !
शोहरतों की कमी नहीं,
बस लगन की सतत जमीं चाहिए..!
नव अंकुर फाड़ उठे धरा को,
बस बीज को वो नमी चाहिए..!
आसमाँ तो है क्षितिज अनंत,
पर बारिश को मिट्टी की सरजमीं चाहिए..!
है नफ़रतों की आग धकधक,
प्यार की चादर मखमली रेशमी चाहिए..!
गढ़ दे कशीदे इश्क़ के हर दिलों पर,
मुकद्दर को बस ऐसी जानशीं चाहिए..!
