मजदूर
मजदूर
उठता हैं नित भोर वह,
अपनी रोटी कमाने को,
न कुछ चाह किसी सुख की,
बस चिंता मिटाने भूख की,
चिंता तो कई एक है पर,
रोजी रोटी ही सबसे बड़ी है,
वक्त की चुनौती भी बड़ी है,
चलना है, उठना हैं, जाना है,
छोटी छोटी खुशियो में
मुस्काना हैं,
खुशी हो या गम,
बस गाते जाना है,
श्रम कर पसीने को बहाना हैं
कुछ मेहनत से ही जीवन बनाना है
जी कर वह छोटी छोटी खुशिया,
जीवन खुशहाल बनाता है,
सीखा देता है वह श्रमिक भी हमे,
जीवन चलने का नाम हैं,
दुख हो या सुख बस,
श्रम करने का नाम है,
श्रम हमे सिखाता हैं,
सशक्त बनाता हैं,
हँसना सिखाता हैं,
तो लौटे कुछ श्रम की ओर,
करे कुछ काम अपने भी हाथों से,
ले आंनद इस प्रकृति का भी।