मित्रता दिवस पर विशेष
मित्रता दिवस पर विशेष
मित्रता में न कोई हल्का, न कोई भारी
कहीं भी दोनों मित्र, समान होते हैं।
कोई तुला नहीं, जो तौल सके इसे ,
दोनों मेज़बान और दोनों, मेहमान होते हैं।
एक दरिद्र, दुःखी ब्राह्मण सुदामा
दूसरा द्वारकानाथ घनश्यामा।
सुदामा के भाग्य खुले श्रीकृष्ण मिले
कृष्ण तो इस दुनिया के, भगवान होते हैं।
सदा जवान रहेगी, मैत्री की यह कहानी
साथ देते मित्र एक दूसरे के पूरी ज़िंदगानी,
जब चर्चा होती है, दोस्ती के मिसाल की,
कृष्ण कन्हैया में सुदामा के प्राण होते हैं।
सच्ची मित्रता, चलती रहती है
सारे विरोधाभास सहती है,
दोनों मित्र एक दूसरे के जान होते हैं,
एक के दिल में दूसरे के अरमान होते हैं।
