मिलावट
मिलावट
हर जगह में आज मिलावट है
हर शख्स में आज दिखावट है
कोई भी न बचा आज असल है
हर जगह लगी नकली फसल है
हर रिश्ते में अब बस सजावट है
कोई भी न रहा अब शुद्ध घट है
हर जगह में आज मिलावट है
हर बगीचे में लगा अशुद्ध वट है
शुद्धता से लग रही आज दस्त है
मिलावट से हुई बड़ी मोहब्बत है
मिलावट के आगे लोग हुए नत है
रिश्तों में हुई भयंकर मिलावट है
न हो रही आज सच्ची इबादत है
हर जगह में आज मिलावट है
शुद्धता से ही मिलती इज्जत है
शुद्धता ही देती हमें शुद्ध रक्त है
अशुद्धता तो देती अशुद्ध रक्त है
जो मिलावट से चलते शख्स है,
उन्हें कभी न मिलती जन्नत है
हर जगह आज मिलावट है
मिलावट की मांग रहे मन्नत है
वो वक्त, बेवक्त ही चल देते है,
भीतर, बाहर रखते मिलावट है
उन्हें खुदा माफ नहीं करता है,
जो मिलाते मिलावट झट है
हर जगह आज मिलावट है
फिर भी साखी का शुद्धता बिना,
कटता नहीं तनिक भी वक्त है
वो बनते जग में चंदन दरख़्त है
जो न रखते मिलावट कमबख्त है
वो कटने पे महकाते सदा गंध है
जिनके इरादों में बहता शुद्ध रक्त है
