मिल गयी
मिल गयी
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रुकी रुकी ज़िन्दगी को
एक रफ्तार मिल गयी।
मिली जो तुमसे नज़र
एक पहचान मिल गयी।
तरसती धरती को जैसे
एक फुहार मिल गयी।
तुम्हारी हँसी के साथ
एक खुशी मिल गयी।
तपती धूप में किसी
पेड़ की छांव मिल गयी।
मेरे आंसुओं को जैसे
खुश्क राह सिल गयी।
पीले पड़े पत्तों को
एक बहार मिल गयी।
मेरे दिल को तेरे दिल के
प्यार की राह मिल गयी।