मीरा जैसी चाहत
मीरा जैसी चाहत
मीरा जैसा चाहकर तुझको
मीरा ना हो पाई मैं,
तेरी सांसे बनकर भी
तेरी ना हो पाई मैं,
जीवन का हर रूप अनोखा
उसको ना समझ पाई मैं,
ढूंढा जब अंतर्मन में तुझको
बात तभी समझ में आई है,
मुझमें तू, तुझमें मैं बसी थी
यही जीवन की सच्चाई है ।।