STORYMIRROR

Madhuri Sharma(माधुरीशर्मा'मधुर')

Romance

2  

Madhuri Sharma(माधुरीशर्मा'मधुर')

Romance

मीरा जैसी चाहत

मीरा जैसी चाहत

1 min
518

मीरा जैसा चाहकर तुझको

मीरा ना हो पाई मैं,

तेरी सांसे बनकर भी

तेरी ना हो पाई मैं,

जीवन का हर रूप अनोखा

उसको ना समझ पाई मैं,

ढूंढा जब अंतर्मन में तुझको

बात तभी समझ में आई है,

मुझमें तू, तुझमें मैं बसी थी

यही जीवन की सच्चाई है ।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance