महत्ता माँ की
महत्ता माँ की
एक संवेदनशील सा एहसास है माँ।
दूर होकर भी सदा दिल के पास है माँ।।
एक अबोध बालक की आवाज है माँ।
संगीत की हर धुन और साज है माँ।।
एक प्यार भरा दुलारा सा आँचल है माँ।
मेरी हर धड़कन - मेरा हर ख्वाब है माँ।।
एक अमूल्य और अनमोल नगीना है माँ।
तुच्छ संसार में करूणा का सागर है माँ।।
पृथ्वी पर ईश्वर का प्रतिरूप है माँ।
प्रथम गुरु और जीवन का सार है माँ।।
हर कदम पर साथ है,मेरी परछाई सी है माँ।
खुशियों में संग झूमे मेरे,शहनाई सी है माँ।।
सर्द मौसम में ऊन की गर्माहट है माँ।
गर्म दिनों में ठण्डी पुरवाई सी है माँ।।
मेरी साँसों में कुछ यूँ समाई है मेरी माँ।
लगता है जीवन की हर सौगात में है माँ।।
मुझे सुलाकर सूखे में गीले में सो जाती माँ।
हर गलती को माफ कर गले से लगाती माँ।।
रोते हुए को मुस्कुराना सिखात
ी है माँ।
उंगली पकड़ कर चलना सिखाती है माँ।।
खाना बनाऊँ तो मसालों की महक में है माँ।
बर्तन जो समेटूँ तो उनकी खनखनाहट में है माँ।।
लिखने जो बैठूँ,मेरी कलम मेरी लिखावट बन जाती है माँ।
हर पन्ने पर उकरते शब्दों की सजावट बन जाती है माँ।।
माँ के संग होने पर मैं भयरहित हो जाती हूँ।
माँ के मीठे बोलों में मैं बहती चली जाती हूँ।।
माँ के चरणों की धूल अपने मस्तक पर लगाती हूँ।
माँ के सम्मुख सदा मैं अपना शीश झुकाती हूँ।।
माँ की महिमा का गुणगान मैं करूँ कैसे।
माँ की अधूरी कथा को पूरी करूँ कैसे।।
यह जीवन मैंने जिस माँ से पाया है,
जिसकी ममता का कोई ना सरमाया है,
उसी को यह जीवन अर्पण करती हूँ।
माँ का जीवन में कोई पर्याय नहीं,
उसका दिल मत दुखाना कभी,
अंत में सभी से बस यही प्रार्थना करती हूँ।।
- शिल्पी गोयल (स्वरचित एवं मौलिक)