महोत्सव
महोत्सव
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हर घर में जगमग रोशनी से
दीपों का महोत्सव मनाते हैं।
हर मन में जगमग रोशनी से
दीवाली का उत्सव मनाते हैं।
स्नेह सेतु से हम सब बंधे रहें
मिलजुल कर त्यौहार मनाऍं।
खुशी की लड़ियों से बंधे रहें
सब पर अमृत रस बरसाऍं।
ज्योत से ज्योत प्रज्वलित हो
मन में विश्वास का प्रकाश हो।
समभाव सद्भावना का संचार हो
मानवता की पूजा का विचार हो।
सूनी आंखों में फिर सपने सजाऍं
बुझते चिराग को फिर से जलाऍं।
जगमग दीप से तिमिर दूर भगाऍं
दीपों का महोत्सव दिल से मनाऍं।