महोत्सव
महोत्सव
बहुत से महोत्सव सुने होगें आपने
आज मैं एक नये, अनोखे, अनसुने
महोत्सव से परिचय कराती हूँ
ये महोत्सव है "इश्क महोत्सव"
जी हाँ, "इश्क महोत्सव"
कोई भी महोत्सव जब शुरू होता है
बंजर भूमि दुल्हन-सी सज जाती है
ऐसा ही कुछ होता है इश्क महोत्सव में
सूखी बंजर-सी हृदय की जमीन होती है
न जानें कहीं से एक इश्क नाम का बीज
किसी के द्वारा बो दिया जाता है।
बंजर जमीन धीरे-धीरे प्यार के पग
बढ़ने लगती है।
अब उसे संसार में इक प्रेमी के
सिवा कुछ भी अच्छा नहीं लगता है
उसका मन कभी रंग-बिरंगी बीजों की
ओर आकर्षित होता है
तो कभी मन भावन खाने की चीजों को
तो कभी ऊँचे-ऊंचे झूलों में उड़ान भरता है।
आम तौर पर महोत्सव 5 दिन, 7 दिन
या फिर चलता है 10 दिन
और फिर अगले साल आने तक के लिए विदा
इश्क महोत्सव में भी जब दोनों प्रेमी साथ होते हैं
सब से बेखबर, बस एक दूजे में खोए हुए
लेकिन जैसे ही निन्द्रा टूटती है बिखर जाते हैं
महोत्सव के बाद की उजड़ी जमीन से..!
