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Rajdip Parmar

Romance

4  

Rajdip Parmar

Romance

मेरी प्यारी वो

मेरी प्यारी वो

2 mins
330


भरे भरे लफ़्ज़ सारे तेरे नाम के 

कोई दोस्त नहीं मेरे काम के 

तुम ही साथ मेरे तो क्या माँगना 

मैं अबोल ही रहता हूं तेरे बिना बात के 

भरे भरे लफ़्ज़ सारे तेरे नाम के 


सभी बाते है रुकी रुकी 

हवाए है भीगी भीगी 

तुम्हारी जुल्फे हिल रही 

नाम तेरे नज्में है लिखी लिखी

सभी बाते है रुकी रुकी


नदिया निकली है तेरे खोज में 

बैठी है याद तेरी मेरे जेब में 

पर नहीं तुम , बैठे तेरे खेद में 

मुझे रहना है तेरे दिल के जेल में 

नदिया निकली है तेरे खोज में


तुम पास नहीं फिर भी पास लगती हो 

मीठे से है तेरे बोल ,नूर सी चमकती हो

होता प्यार जब कम दिल मे तब भरती हो 

जो कहना हो वो तो नहीं कुछ अलग कहती हो 

मछली जैसे पानी मे तैरती वैसे दिल मे तैरती हो 

तुम पास नहीं फिर भी पास लगती हो


नाव भी ना चलती नाविक के बिना 

यह तुम क्यू नहीं समझती हो 

मैं कहता हूं तुम मेरी हो 

तो मुझे अपना तुम क्यूं नहीं मानती हो

मैं कहता हूं की तुम खूबसूरत हों 

तो क्यों आईने को देख देख सजती हो

सही बात करने में देर क्यूँ

पहली बात तो यह की तुम इतना क्यूँ शर्माती हो 

तुम पास नहीं फिर भी पास लगती हो


सड़क भी सुनी सुनी सी लगती है 

राजदीप के दिल मे हर पल बैठी रहती हो 

माना की मैं कच्चा हू अभी कविताओ में 

पर तुम भी ऐ जी ओ जी वाली लगती हो 

तुम पास नहीं फिर भी पास लगती हो


तुम लफ्जों से जो सजती हो 

कहता हूं तुम सबसे खूबसूरत लगती हो 

तुम वो अल्पविराम, अवतरण चिह्न भी

अपने बालों में जब लगाती हो 

जब तुम लफ्जों से जो सजती हो 

तभी तो कहता हूं तुम सबसे खूबसूरत लगती हो


मेरी प्यारी वो नज्म ..



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