बाहर निकल
बाहर निकल
दिल-ओ-दुनिया के ख़यालों से बाहर निकल
खुद को चूम और आईने से बाहर निकल
यह अच्छा है की पता है हम लोग मर जायेंगे
जिंदगी के साल है कितने? इन सवालों से बाहर निकल
मेरे जैसे सोचने पर आए तो कुछ भी नहीं
कुछ नहीं होने से बेहतर है कुछ है उसे पाकर निकल
कुछ न मिला मिलने को तो कुछ भी
एक बार खुद को मिल फिर खुद से बाहर निकल
भूल हो या न हो माफी मांगने में थोड़ा मुलायम बन
माफ करने वाला अपनी ही रखे तब सारे नियमों से निकल
खुदा ना रख सके तो कोई बात नहीं
इंसानियत रखकर आदम से बाहर निकल
