मेरी परी
मेरी परी
आई खुशियों की बौछार लिए
नन्हीं परी मेरे द्वार,
सुन्दर अपार, मधुर मुस्कान होंठो पर,
लिये छड़ी अदृश्य।
कभी करती छू-मन्तर तनाव को,
तो कभी दुःख को परे ढकेल,
भर देती मन प्रसन्नता से,
छड़ी देख उसकी भाग खड़ी होती निराशा,
और हो जाता आगमन आशा का।
आई खुशीयों की बौछार लिए
नन्हीं परी मेरे द्वार,
सुन्दर अपार, मधुर मुस्कान होंठो पर,
लिये छड़ी अदृश्य।
देख उसे खिल जाती कलियाँ बाग में,
महक उठती बगिया पुष्पों की बहार से,
निसपंद सी पड़ी बेल मधुमालती की,
हो गई जीवन्त भर दिया सुगंध से
घर हमारा सारा।
आई खुशीयों की बौछार लिए आई
नन्हीं परी मेरे द्व
ार,
सुन्दर अपार, मधुर मुस्कान होंठो पर,
लिये छड़ी अदृश्य।
घुटनों में दर्द, कमर में दर्द पूरा शरीर
भरा रहता दर्द से दादा और दादी का,
आती परी देती घुमा छड़ी
अपने प्यार भरे स्पर्श की,
भाग जाता दर्द दूर,
किसी अनजान दुनिया में।
आई खुशीयों की बौछार लिए,
नन्हीं परी मेरे द्वार,
सुन्दर अपार, मधुर मुस्कान होंठो पर,
लिये छड़ी अदृश्य।
मिल जाती भनक उसे होता यदि कोई उदास,
मधुर गान से भर देती हर कोना घर,
और मन का,
न मिलता कोई कोना उदासी को रहने का,
भाग लेती बिचारी मुँह छिपा अपना।
आई खुशीयों की बौछार लिए,
नन्हीं परी मेरे द्वार,
सुन्दर अपार, मधुर मुस्कान होंठो पर,
लिये छड़ी अदृश्य।