मेरी मंजिल
मेरी मंजिल
ढूंढने दो मंजिल अपनी
अब तो रोड़ा ना बनो
बहुत बताया खुद को काबिल
अब जरा मेरी सुनो
गर सुनोगे ना मेरी
सुनाना मुझको आ गया
बेड़ियों को काटने का
यंत्र मुझ को भा गया
यह चली मैं वह चली मैं
उड़ चली आकाश में
अब ना आऊं हाथ तेरे
और ना आऊं पास मैं
पंख है फैला लिए अब
जाल कैसा भी बुनो
ढूंढने दो मंजिल अपनी
अब तो रोड़ा ना बनो
अब तो रोड़ा ना बनो