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Sambardhana Dikshit

Fantasy Inspirational Children

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Sambardhana Dikshit

Fantasy Inspirational Children

मेरी खुशी मेरी मिष्ठी में है

मेरी खुशी मेरी मिष्ठी में है

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शुक्रिया उस रब का जिसने ये खुशी दी है

मेरे घर आंगन में एक नन्ही परी भेजी है

नन्हें नन्हें हाथों से उसका छूना 

छोटे - छोटे कदम बढ़ाना

बड़ा ही सुंदर दृश्य है वो

बहुत ही खास पल हैं वो


पायल की झंकार से घर गूंजता है 

खिली - खिली हंसी से घर पूर्ण है 

टूटे फूटे शब्दों में उसका यूं सबका मन मोह लेना 

आधे अधूरे शब्दों में सबको यूं प्यार जताना

उसके आने से ज़िंदगी पूरी हुई मेरी

उसके आने से मां सी मूरत बनी मेरी


उसमें अब मैं खुद को देखती हूं

उसमें अपने कल को निहारती हूं

मेरे बीते कल की सूरत है उसकी

मेरे अपनों सी सीरत है उसकी

दर्द भी वो मरहम भी वो बनी है 

उसकी एक झलक से मेरी कायनात बनी है

उसका यूं आंधी की तरह चीज़ें बिखेरना 

यूं पलक झपकते ही दूजा काम बिगड़ना


हां माना कभी कभी परेशान हो जाती हूं

फिर अगले ही पल मां की बातें याद कर लेती हूं 

मां हमेशा कहती की उसकी एहमियत मेरे मां बनने से मेरे समझ आएगी

तब समझ न थी पर किसे पता था कि

मां के किरदार को निभाने में इतनी मेहनत लगेगी


हर रंग हर तरंग में उसके जी रही हूं

वो मातृत्व का हर पल में आज भी निभा रही हूं

हर एक पल में सांसे छूट रही थी 

बस हौसलों से नाता जोड़ रही थी 

दर्द के हर पड़ाव से गुजरी मेरी रूह 

पर दूजे पल सुकून से मिले जब गोद में खिली वो 

वो उसका पहला दिन मेरी कोख में 

वो पहला दिन उसका मेरी गोद में 


वो पहला दिन उसका निगाहें भरना मेरी निगाहों में 

वो पहला दिन उसका थामना मेरी उंगली उसकी नन्हीं सी मुट्ठी में 

वो पहला दिन उसका स्वर घर भर में गूंजने में 

वो हर लम्हा वो हर पल उसका यूं ज़िंदगी का मतलब समझाने में 

हर खुशी उससे शुरू हर दुआ उसपे ही खत्म है


रब करे पूरी हर ख्वाहिश उसकी बस यह मन्नत रब से है 

अपने लिए अब ना कोई आरजू है 

बस मेरी हर खुशी मेरी बेटी मेरी मिष्ठी में है।


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