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Sonam Kewat

Tragedy

4.0  

Sonam Kewat

Tragedy

मेरी खुशी का राज

मेरी खुशी का राज

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पता है! आज मैं बहुत रोई 

जागी तब जब सारी दुनिया सोई

मन का बोझ हल्का हो रहा था 

कुछ अजीब एहसास हो रहा था 


चेहरे पर मेरे हंसी बरकरार थी 

मेरी खुशियां मानों जैसे फरार थीं

सपनों को सोचते हुए सो गई

आँखे खुली तो फिर माहौल में खो गई


लोगों की बातें पहले जैसी थी 

मैं भी तो बिल्कुल वैसी ही थी 

खुशियों को चेहरे पे दिखाना पड़ा

गम को भी मुस्कुरा के छुपाना पड़ा


उदासी छुप रही थी मेरी हंसी के पीछे 

जमीं खिसक रही थी पैरों से नीचे

जिंदगी का तमाशा खूब हुआ

चाहनेवाला ना कोई महबूब हुआ


अब एक ही सार बनाएं रखा है

खुद को लोगों में गवाएं रखा है

पूछने वाले पूछते हैं राज मेरी खुशी का

क्योंकि मैंने गम को दबाएं रखा है!



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