मुझे ख्वाबों में ही रहने दो
मुझे ख्वाबों में ही रहने दो
वह मेरा हो या ना हो
मुझे उसका ही होने दो
मेरे होने ना होने का फर्क कहां
पर मुझे खुद को उसमें खोने दो
जो हकीकत में ना कहा कभी
बस ख्वाबों में ही कहने दो
मजबूत नहीं ख्वाबों का महल
इसे यूं रेत का ही रहने दो
सुनते रह गई बातें सबकी
अब खुद बातें भी कहने दो
पर मन भी नहीं हैं बातें कह डालूं
तो बातों को दबा ही रहने दो
अब नहीं चाहिए कोई सामने अपने
मुझे लोगों से दूर ही रहने दो
मैं हकीकत से डरती हूं
मुझे ख्वाबों में ही रहने दो
