मैं बाकियों जैसा नहीं हूं
मैं बाकियों जैसा नहीं हूं
जब कोई कहता है कि मैं बाकियों जैसा नहीं हूं,
इसका मतलब है कि वह सबसे अलग होता है,
और इसलिए मैं अक्सर सोचती थी कि
कितना अलग होता है?
शायद इतना अलग होता होगा कि
उसके आने से जिंदगी में
एक अलग पहचान बनती होगी।
शायद इतना अलग होता होगा कि
उसकी वजह से शान बढ़ती होगी।
और जब सोचते हैं कि कोई तो अलग होगा,
तब सच में कोई अलग होता है,
क्योंकि उसके आने के बाद सब कुछ अलग लगता है।
सुबह में महक होती है, रातों में चहक होती है
यादों में मुस्कान होती है, बातों में पहचान होती है
जिसमें बीते हुए कल की कुछ पहचान होती है
जिसमें कल, आज और कल की कुछ जान होती है
उसके आने के बाद सब हिसाब से चलने लगता है
अब धीरे-धीरे सब कुछ बदलने लगता है
बदलते-बदलते सब इतना बदल जाता है कि
जो अपना सा था अब वो दूर चला जाता है
जो एक आवाज में भी चले आता था,
अब बार बार पुकारने पर भी नहीं आता हैं।
और अब धीरे-धीरे समझ आने लगता है कि
कोई अलग नहीं होता, सब एक जैसे होते हैं।
जिसके आने के बाद लगता था कि
वो शायद बाकियों जैसा नहीं है
अब वह खुद को बाकियों
जैसा साबित करने लगता है।

