मेरी जान है वो..!
मेरी जान है वो..!
वो है थोड़ा शरारती थोड़ा सा नादाँ
बड़ा नालायक पर मेरी जान है वो,
मेरी उम्मीदों को देता नई उड़ान
मेरा साहस मेरा हौसला है वो,
कभी बालो को पकड़े कभी खींचे मेरे गाल
मगर उसके होते मुझे कोई छेड़े किसकी मजाल,
यूँ तो दिखने मे है मासूम सा किड़ीकाप वो
मगर बात मेरी हो तो सबका बन जाता बाप वो,
मेहफूज़ फ़कत उसके नाम से हो जाती हूँ
जब कभी अकेले बहार कुछ काम से जाती हूँ,
लोगो को कहते सुना है
अरे उधर मत देख वो उसकी बहन है
खुश होती हूँ मन मे
मेरे भाई का इतना डर लोगो के जहन मे है..!
कितना रुलाता था वो बचपन में मुझे
खरोंच भी आए तो अब सिसकता है वो
वो नालायक मासूम सा कितना बड़ा हो गया
सच में देखते ही देखते वो इतना सयना हो गया
जाने कहाँ से ले आया इतनी भावुकता
मेरा प्यारा भाई सबसे निराला है तू..!