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Rudra Singh

Romance

5.0  

Rudra Singh

Romance

मेरी बाहों में लिपटने पर तु रो

मेरी बाहों में लिपटने पर तु रो

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मेरी बाहों में लिपटने पर तू रोना मत

कहना हो कुछ मुझसे तो तू सोचना मत,

माना गुस्ताखियों बहुत की हैं मैंने,

मगर उनको तुम भुलाना मत,


सजा देना रूठ जाना मगर दूर जाना मत,

रूठ जाओगे तो मना लूंगा

गर गए मुझसे दूर तुम कैसे मनाऊंगा,

मेरे तुमसे मिलने पर जैसे भी

हालात हो तुम रोना मत


अपनी पलकों तुम यूँ भिगोना मत,

बहुत खूबसूरत लगता है

ये काजल तुम्हारी आँखों में,

तुम इसको यूँ बहाना मत

पता है मुझे कुछ पल बिताना

चाहते हो तुम मेरे साथ,

फिलहाल तो मजबूरियों के

हाथों बिके है मेरे हालात,


अब ये बात तुमको कैसे समझा सकता हूँ ,

तुम्हैं कैसे बताऊं की अभी नहीं आ सकता हूँ,

आज तो गुजारनी पड़ेगी अकेले तुम्हैं ये रात,

मानता हूं ग़ुस्सा तुम्हैं बहुत आएगा,

मुझे छोड़ जाने को दिल चाहेगा,


पर तुम मुझे दूर जाना मत ,

मिलूंगा for तुझसे एक दिन ,

फिर आएगी वो रात,

बस उस रात मेरी बाहों लिपटने पर तु रोना मत

कहना हो कुछ मुझसे तो तू सोचना मत।


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