मेरे दिलवर
मेरे दिलवर
मेरे दिलवर फूल बिछा दूँ राहों में
ख़ार नहीं दिल आज सजा दूँ राहों में।
पाने को मैं हरदम आहें भरता हूँ,
प्यारा गुलशन साज खिला दूँ राहों में।
जीवन तो अब तन्हा-तन्हा लगता है,
जीने की उम्मीद टिका दूँ राहों में।
नजरों से घायल मेरा दिल कहता है,
शहजादी का चैन चुरा लूँ राहों में।
बोधन अब तू क्यों इतना शरमाता है,
दिल से दिल को आज मिला दूँ राहों में।

