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सोनी गुप्ता

Tragedy Inspirational

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सोनी गुप्ता

Tragedy Inspirational

मेरे देश का किसान

मेरे देश का किसान

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भरे -भरे खलिहानों का,

ये देश है मेरे किसानों का,

हाथ रहते सधे हमेशा,

चलती उसकी कुदाली है,

पूंजीपतियों द्वारा शोषण होता,

काम करके भी दोनों हाथ खाली हैंI 

हरियाली से मैदानों का,

ये देश है मेरे किसानों काI


जन जीवन क्यों इनका बदहाल है,

किसानों न पूछता कोई हाल है,

कड़ी धूप में सिकते रहते,

उप न कहते कभी,

जनजीवन नहीं खुशहाली का,

ये देश है मेरे किसानों का I 

परहित खुद ही पिसता है,

घुट -घुट वह जीता है,

अरमानों का बलिदानों का,

ये देश है मेरे किसानों का I 



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