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Pranav Kumar

Romance Tragedy

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Pranav Kumar

Romance Tragedy

मेरे बाजू _तुम्हारा तकिया

मेरे बाजू _तुम्हारा तकिया

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आज भी मैं इन बाहों को फैला कर सोता हूं,

अपनी बाहों के दरमियां तुम्हारी जगह बना कर सोता हूं,


तुम तो नहीं होती है पास मेरे, फिर

तुम्हारी यादों से ही बिस्तर सजा कर सोता हूं,


तुम कितने हक से मेरे बाजुओं को अपना तकिया कहती थी ना,

अगर अचानक नींद खुल जाए तो मैं तुम्हें वहां ही ढूंढता हूं,


मुझे मालुम है कि बिछड़ने वाले दोबारा नहीं मिलते,

कितना भी समझा लूं खुद को, फिर भी ये एक बात है जो मैं नहीं समझता हूं।


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