मेरे बाजू _तुम्हारा तकिया
मेरे बाजू _तुम्हारा तकिया
आज भी मैं इन बाहों को फैला कर सोता हूं,
अपनी बाहों के दरमियां तुम्हारी जगह बना कर सोता हूं,
तुम तो नहीं होती है पास मेरे, फिर
तुम्हारी यादों से ही बिस्तर सजा कर सोता हूं,
तुम कितने हक से मेरे बाजुओं को अपना तकिया कहती थी ना,
अगर अचानक नींद खुल जाए तो मैं तुम्हें वहां ही ढूंढता हूं,
मुझे मालुम है कि बिछड़ने वाले दोबारा नहीं मिलते,
कितना भी समझा लूं खुद को, फिर भी ये एक बात है जो मैं नहीं समझता हूं।

