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मिली साहा

Romance Tragedy

4.8  

मिली साहा

Romance Tragedy

मेरे बागीचे का झूला तुम बिन खाली पड़ा है

मेरे बागीचे का झूला तुम बिन खाली पड़ा है

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मेरे बागीचे का वो झूला खाली पड़ा रहता है आजकल,

जिसमें बैठकर हम साथ, ख़्वाब बुना करते थे हर पल,


तुम्हें याद कर पल-पल मरते हैं, यादों के सितम सहते हैं,

तुम तो चले गए सुकून से, हम तन्हा यहां आंसू बहाते हैं,


तुम्हारे जहाँ तक मेरी धड़कनों की आवाज़ नहीं पहुंचती,

जो तुम होते साथ, इस बागीचे की रौनक कुछ और होती,


खाली पड़ा ये झूला हर घड़ी हर लम्हा बस तुम्हें पुकार रहा,

क्यों किस्मत हमारी थी ऐसी क्यों पल भर का ही साथ रहा,


सुना था जो अपने होते हैं वो कभी हमें छोड़कर नहीं जाते,

फिर तुम हमें छोड़कर, क्यों ख़ामोश कर गए वो मुलाकातें,


अब तो तुम बिन मेरी दास्तान-ए-ज़िन्दगी बस यही रह गई,

आँखों में नमी और यादों की महफ़िल में खामोशी रह गई,


इस तन्हा दिल के बागीचे में, कभी प्यार की फुलवारी थी,

तुम्हारे साथ सफ़र में ये खूबसूरत दुनिया लगती हमारी थी,


साथ जो छूटा वो हाथ जो छूटा हर रंग ज़िंदगी का बह गया,

जिस जहाँ में तुम हो बस मौत ही रास्ता मिलन का रह गया,


अब तो बैरी लगती ये सांसे, क्यों जीने को करती हैं मजबूर,

क्यों मोहब्बत हुई ना मुकम्मल, आखिर क्या हमारा कुसूर,


एक तुम्हें ही तो मांगा खुदा से वो सदा के लिए बिछड़ गया,

आँखों में बसा मोहब्बत का खूबसूरत आशियां उजड़ गया,


भूल सकते हैं, सब कुछ पर भूल नहीं सकते उन लम्हों को,

बस में होता वापस ले आते हम ज़िन्दगी के बीते क्षणों को।



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