मेरा शहर
मेरा शहर
पता है उस शहर में लोग दिल से प्यार करते हैं,
अपने वादों के लिए जीते और मरते हैं।
वहाँ कोई किसी से बेवफाई नहीं करता,
इश्क में धोखेबाजी कर रुसवाई नहीं करता।
उस शहर में सिर्फ प्रेम की फसलें पकती है,
गलियाँ भी आपस में प्यार से ही गले मिलती हैं।
वहाँ मोहब्बत का जनाज़ा नहीं निकलता,
कोई किसी "कैस" पर पत्थर नहीं फेंकता।
सब कुछ कितना सुंदर है ना मेरे उस शहर में,
जहाँ प्रेम रस बरसता है दिन के आठों प्रहर में।
वहाँ प्रेम निवेदन ठुकराने पर तेजाब नहीं डाला जाता, गर्भ में किसी कन्या को नहीं मारा जाता।
ऊँच-नीच का भेद भी वहाँ नहीं होता ,
कोई भी कभी भी भूखे पेट नहीं सोता।
लोग धर्म के नाम पर कभी नहीं लड़ते,
जहाँ हर जाति- धर्म के बच्चे साथ में पलते बढ़ते।
जहाँ राजा और रंक एक बराबर होता है,
जहाँ न्याय पर सबका समान हक होता है।
ऐसा है सबसे खूबसूरत और परफेक्ट मेरा शहर,
जहाँ प्यार की हवा चलती है शाम-ओ-सहर।
इसी दुनिया में कहीं है मेरा ये शहर,
जो तुम्हें मिल जाए तो बताना जग को मेरे शहर का नाम।
या रुको! उसका नाम मत बताना,
वरना लोग उसे भी जाति-धर्म में बाँटकर कर देंगे बदनाम।
चलो अब जाने देते हैं,रहने दो मेरे सपनों के शहर का नाम,
हमेशा के लिए अनाम - गुमनाम।
वैसे सचमुच ऐसा शहर है न ?
या इस बेरहम संसार में है ये एक सुखद कल्पना या मेरा अनुमान।
