मेरा साया - पत्नी
मेरा साया - पत्नी
तुम मेरी साया, तुम मेरी माया,
हर क्षण तुमने ही साथ निभाया।
तुम मुझे प्रिय प्राणों से,
प्यार का सागर जो तुमने बहाया।।
तुम हो मेरी हर चिंतन में,
तुमने ही तो मुझको बनाया ।
मेरी हर चाह में तुम,
प्रिय का धर्म तुमने निभाया,
तुम मेरी साया, तुम मेरी माया
हर क्षण तुमने ही साथ निभाया।
मेरे मरुभूमि कर सिंचित,
नव प्रेम कुमुन्द तुमने खिलाया,
मुझको, प्रेमी तुमने बनाया।
जीवन बसंत देखे बहार,
उन बहारों को तुमने महकाया,
बनकर मेरी अर्द्धांगिनी
इस निर्जन बन को तपाया,
अपने आभा के किरनों से,
सूने घर को महकाया,
बन प्रेम सुंगंध जीवन उर,
मेरी हस्ती को चमकाया,
मेरे हर भाव शून्य,
जिनको तुमने जीवंत बनाया,
तुम कोमल हृदय, मधुबन,
तुम ही मेरी कृष्ण बृंदावन,,
मुझको गले लगाकर,
मुझपे किया उपकार।
मुझ को धरातल से उठाकर,
जीवन को चमकाया
मेरी यही चाह रहे,
युगों तक बस ये निगाह रहे,
तुम मेरी साया, तुम मेरी माया।

