चलते चलते
चलते चलते
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चलते चलते दूर बियाबान एक उम्मीद नजर आयी,
रोशनी अँधेर को चीरति नजर आयी,
था न पास कुछ खोने को,
बस पुकार थी विनय की।।
छोड़ जिस देश को आया मैं बहुत दूर, भूल कर भी भूल न पा सका उनको,
देखा था बहुत करीब से जिनको।।
चलते चलते दूर बियाबान एक उम्मीद नज़र आयी,
रौशनी अँधेर को चीरति नजर आयी।।
