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Awadhesh Singh Negi

Others

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Awadhesh Singh Negi

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चलते चलते

चलते चलते

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चलते चलते दूर बियाबान एक उम्मीद नजर आयी,

रोशनी अँधेर को चीरति नजर आयी,

था न पास कुछ खोने को,

बस पुकार थी विनय की।।


छोड़ जिस देश को आया मैं बहुत दूर, भूल कर भी भूल न पा सका उनको,

देखा था बहुत करीब से जिनको।।


चलते चलते दूर बियाबान एक उम्मीद नज़र आयी,

रौशनी अँधेर को चीरति नजर आयी।।


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