वो कौन थीं?
वो कौन थीं?
किसने मुझको पुकारा, रुको ओ पथिक।
मैं भी साथ चलने को आतुर
तुम आओ धीरे-धीरे मैं जल्दी में हूँ।
थोड़ा सहमा, पर मौन न दे सका उत्तर,
जाना है कहाँ, मेरी मंजिल है किस ओर
जिसका न कोई अंत और न छोर।।
बार बार मुझे यूँ ही पुकारे तुमको जाना है कहाँ?
किसने मुझको पुकारा, रुको ओ पथिक
मैं भी साथ चलने को आतुर,
तुम आओ धीरे धीरे मैं जल्दी में हूँ।
थोड़ा सहमा, पर मौन न दे सका उत्तर।।
जाना है कहाँ, मेरी मंजिल है किस ओर
जीवन का सार, हैं अनंत आकार
तेजमय पुंज किरण फैला है
उर अन्दर मिटा देने हर अंधकार।।
उस दिब्य मन भावन शक्ति को
करने अंगिकार, मै चला, मैं चला।।
मुझको जाना है वहां, मुझको जाना है वहाँ।।
मेरे प्रिय तुम न जाओ लौट आओ
लौट कर जो आया, फिर समय गंवाया
अभी मिला है पथ परमात्मा का
जाने फिर कब दिन ये आये।
किसने मुझको पुकारा, रुको ओ पथिक।
