बेटी और बेवसी, रेड्डी को नमन!!
बेटी और बेवसी, रेड्डी को नमन!!

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जिसको नाजों से पाला,
न रात देखी न देखा दिन का उजाला।
जिसकी हर मुस्कान पे
दिल में नित् नया उमंग छा जाता।
वो बेटी घर आंगन की मुस्कान, उसके हर रंगों पे मुझको नाज आता।
देखते ही भर ली नई उड़ान,
जीवन में नव यौवन की।
लिखनी शुरु की थी
इबारत अपनी पहचान की।
पर कुछ पिशाच्चों ने अस्तित्व को ही मिटा डाला,
अब देखा नहीं जाता।
जिसको नाजों से पाला,
न रात देखी न दिन का उजाला।