पिता एक स्वप्न
पिता एक स्वप्न
जब तुम थे तो दुनिया अपनी थी,
जब तुम थे हर खुशियां अपनी थी
तुम्हारी उंगली पकड़ कर, चला था कुछ दूर
हर वो चीज जो थी प्यारी मुझ को,
आसान बनाया था आपने उसको
पर लगता हैं वो साथ अपना था अधूरा,
कुछ ख्वाहिश और थी बाकी
जो मिलता साथ तुम्हारा,
हर दिन पूजा करता तुम्हारी,
सर पे हाथ रख देते मेरे, वही मेरी
दिल की तम्मना है बाकी
जब तुम थे तो दुनिया अपनी थी
हर खुशियां अपनी थी।
