मेरा चांद
मेरा चांद


चांद खोया है
मेरा इस आसमान से।
सुना लगे यह आसमान
बिन वो चांद के।
चांदनी का कोई मज़ा नहीं
बिना मेरे चांद के,
सितारे भी लग रहे है
अधूरे इस रात में,
कोई तो मेरे रूठे
चांद को मना लो,
वरना कहीं रुक ना जाए
मेरी सांसें इस अंधेरी
घनी रात में।