दसवीं कक्षा के बाद हॉस्टल के अकेलेपन को महसूस करते कवी दसवीं कक्षा के बाद हॉस्टल के अकेलेपन को महसूस करते कवी
चांदनी का कोई मज़ा नहीं बिना मेरे चांद के, चांदनी का कोई मज़ा नहीं बिना मेरे चांद के,
ये डूबता सूरज कहीं डूब तो नहीं रहा सदा के लिए! ये डूबता सूरज कहीं डूब तो नहीं रहा सदा के लिए!
ऐ शाम , तुम कहां जा रही हो अकेली अकेली , चुपचाप। ऐ शाम , तुम कहां जा रही हो अकेली अकेली , चुपचाप।
मै बस चैन से जीना चाहता हूँ मै बस चैन से जीना चाहता हूँ
पर रात बहुत बड़ी हो जाती है ....... ऐसे में सचमुच वह अंधकारमय रात बहुत ही डराती है ! पर रात बहुत बड़ी हो जाती है ....... ऐसे में सचमुच वह अंधकारमय रात बहुत ही ...