STORYMIRROR

Kusum Lakhera

Tragedy

4  

Kusum Lakhera

Tragedy

अंधेरी रात डराती है ....

अंधेरी रात डराती है ....

1 min
325

अक्सर जब मन होता है बहुत उदास ....

जब लगता है कोई नहीं है हमारे साथ .....

जब दिखता नहीं कोई भी आसपास ...

तब दिन तो कट जाता है धीरे धीरे ....

पर रात बहुत बड़ी हो जाती है .......

ऐसे में सचमुच वह अंधकारमय रात 

बहुत ही डराती है .............


अक्सर जब दुःख के बादल छाते हैं ....

आँखों में आँसू की सुनामी आती है ...

जब कोई खास अपना ...हमसे बिछड़ जाता है !

तब उस रात का अंधेरा मानो और भयावह हो जाता है 

ऐसे में सचमुच वह अंधेरी रात बहुत डराती है ....


.


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy