बरगद की छांव वास्तव में हमें प्रसन्नचित्त करती हैं। बरगद की छांव वास्तव में हमें प्रसन्नचित्त करती हैं।
ज़माने की रोशनी से बहुत अंधा हो गया हूं तेरी घनी जुल्फों में खोई हुई है रोशनी मेरी। ज़माने की रोशनी से बहुत अंधा हो गया हूं तेरी घनी जुल्फों में खोई हुई है रोशनी ...
मैं भी बंजर हूं, बेकार सा थोड़ी उग जाओ तुम भी मौसमी पौध सी... मैं भी बंजर हूं, बेकार सा थोड़ी उग जाओ तुम भी मौसमी पौध सी...
चांदनी का कोई मज़ा नहीं बिना मेरे चांद के, चांदनी का कोई मज़ा नहीं बिना मेरे चांद के,
रुकना नहीं मुझे भले याँ छाँव घनी है रुकना नहीं मुझे भले याँ छाँव घनी है
कोई देता नही हमे क्यों सदा? साथ दे कौन जब घनी रात हो! कोई देता नही हमे क्यों सदा? साथ दे कौन जब घनी रात हो!