बरगद की छांव
बरगद की छांव
बरगद की छांव का सदा से रहा है मुझे चाव
पेड़ की छाया में मिल बैठ होता था जुड़ाव।
सज्जन का होता था आपसी प्रेमपूर्वक लगाव
ऐसा था हमारे देश में एकदूसरे के प्रति झुकाव।
आज कईं वर्षों बाद बरगद की
छांव फिर से याद आई है।
पेड़ के नीचे बैठकर सुख-दुख
बाँटती वो सांझ याद आई है।
दिन भर के थके हारों की
मुसकुराहट फिर से याद आई है।
इकदूजे के गिले-शिकवों की मधुर
शरारत फिर से याद आई है।
बरगद या वट वृक्ष का भारतीयों के द्वारा
पूजा जाना बड़ा ही कल्याणकारी माना जाता है।
हमारे देश में पेड़ों की परिक्रमा करते हुए
उपवास रखना बहुत ही हितकारी माना जाता है।
सभी प्राकृतिक नज़ारों को संजो कर रखना
हम हिंदुस्तानियों की शान को बढ़ाता है।
वास्तव में बरगद की छांव के नीचे बैठे सभी धर्म,
जाति, संप्रदाय को एकजुट होना सिखाता है।
बरगद की छांव सभी को शीतलता प्रदान करती है
घनी पत्तों की लंबी जटाएं हमें शुभ संदेश देतीं हैं।
पुराने पेड़ की विशालता हमें संघर्ष करना सिखाती है
बरगद की छांव वास्तव में हमें प्रसन्नचित्त करती हैं।
