मेरा भारत
मेरा भारत


त्रेता से लेकर कलयुग तक,
राम के साथ रावण भी आया,
मेरे इस आंचल में,
हर पापी का पाप समाया।
जाति, धर्म और छुआछूत,
बना दंगों का यह आधार,
मुझको सब बाँट रहे,
देखो बेटों का यह प्यार।
मानव की खून का है,
यहाँ मानव प्यासा,
प्यार की समझें,
कौन परिभाषा।
बरसों से चलती आ रही,
बस इतनी मेरी कहानी है,
मैं धरती हिंदुस्तान की,
आतंक में पली मेरी जवानी है।
अपनी आँखों से मैनें,
जाने कितनी लाशें देखी है,
हर पल इस धरती पर मैंने,
आतंक की परछाई
देखी है।
अपने शहीद जवानों को,
अपनी गोद में लेटे देखा है,
मेरी लाज बचाने के लिए,
उनको मरते देखा है।
मासूम भरी निगाहों को,
हर पल रोते देखा है,
एक आम हिंदुस्तानी को,
कोई अपना खोते देखा है।
आओ आज हम,
मेहनत का दीप जलाकर,
नया उजाला करना सीखें,
देश हमें देता है सब कुछ,
हम भी तो देश को,
कुछ देना सीखे।
देश ही में पैदा हुए,
देश ही मैं मर जाएँगे,
मरते-मरते देश को,
जिंदा मगर कर जाएँगे,
जिंदा मगर कर जाएँगे,
जय हिंद, जय भारत।।