तुम कल्पना हो मेरी
तुम कल्पना हो मेरी
तुम सामने हो मेरे
पर तुम कल्पना हो मेरी
नन्ही चंचल बूंदे जब
धरती पर इठलाई
तेरी काया की खुशबू
हवा साथ ले आई
साँसों ने कहा
तुम सामने हो मेरे
पर तुम तो कल्पना हो मेरी
तन्हा यादों में खोई थी
जब मैं सागर के तीरे
प्रेम लिए अधरों पर
तू मेरा नाम पुकारे
हृदय ने कहा
तुम सामने हो मेरे
पर तुम तो कल्पना हो मेरी
देखा जब जब मैंने
दर्पण में अपनी काया
गुमा हुआ कुछ ऐसा
जैसे तुम सामने हो मेरे
पर तुम तो कल्पना हो मेरी
लोगों की इस भीड़ में
सब अपने से लागे
भाती भाती रूप में
तू मेरे आस पास भागे
लगा जैसे तू ही तू सामने है मेरे
पर तुम तो कल्पना हो मेरी
बिखर रही हूँ, टूट रही हूँ
मैं सूखे पात सी
थाम ले मेरी हथेलियों को
तू अब अपने हाथ से
मेरे मन हृदय के प्रिये
तुम बहुत पास हो मेरे
पर तुम तो कल्पना हो मेरी
सिर्फ कल्पना हो मेरी ।।