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Alpa Mehta

Romance

3  

Alpa Mehta

Romance

मे रोम रोम मे बस जाऊ..

मे रोम रोम मे बस जाऊ..

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तेरे संग संग मैं चलूं

तेरे रोम रोम में बसूं

तेरी हर अदाओं में,

मैं जलूं , मैं जलूं 

तेरे संग संग चलूं

तेरे रोम रोम में बसूं।


तेरे लफ्ज़ पर मैं शब्दों सा ठहरुं

तेरे जहन में मैं सोच सा उभरूं

तेरे इन काले काले गेसुओं में

गज़रा सा सजूं, गज़रा सा मैं सजूं

तेरे संग संग मैं चलूं

तेरे रोम रोम में बसूं।


तेरी दो पलकों में मैं बूंद बन के चमकूं

तेरी साँसो के संग संग मैं धडकूं

तेरे इन मचले मचले अरमानो में

इत्र सा महकूं इत्र सा मैं महकूं

तेरे संग संग मैं चलू

तेरे रोम रोम में बसूं।


सारी कायनात बस मेरी

तू हौले अब बस मेरी

तेरे चितवन में मैं चहकूं

तेरी हर अदा में मैं निखरुं मैं निखरुं

तेरे संग संग मैं चलूं

तेरे रोम रोम मे बसूं।



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