अश्रुबिंद
अश्रुबिंद
अश्रुबिंदु अखियन से बहे,
जैसे माला बिखर गयी मोतियन से
धागा माला का कच्चा रहे गया
मन जरासा उदास रहे गया
कमी न थी प्यार की,
सैलाब था प्रीत का,
बस एक तूफान के आगे हार चला
बहेने लगी प्रीत की पुरवाई,
अंधेरों मे समेट चली मेरी परछाईं
न साथ छोड़ा मेरे वजूद को कायम किया
परछाई ने सिर्फ अंधेरों मे मेरा दामन न छोड़ा।