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Alpa Mehta

Romance

3  

Alpa Mehta

Romance

मीरा धुन

मीरा धुन

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तन क्रिष्णा क्रिष्णा है

मन कृष्णा कृष्णा है

औ सावरे

मन बावरे

तू चित हरण रे..

तेरी प्रीत की तृष्णा है

तेरी प्रीत की तृष्णा है।

तू "द्वारिकेश "औ "द्वारिकेश "

तेरे महलो मे,

तू "द्वारिकेश "

तू हृदय वास ..हर हृदय वास

चाहे बसले..तू हर जगत वास

पर तू सखा हैमन मीत है।

मेरे मन आँगन तेरी प्रीत रे..

जोगन बनी हूँ प्यार में.

तेरे अश्रुधार मेरे नयन मे.. 

बहती रहीबहती रही

कहती रही कहती रही

तन कृष्णा कृष्णा है

मन कृष्णा कृष्णा है

तेरी प्रीत की तृष्णा है

तू जग बिराज

हर जगह बिराजमान 

हर भक़्त काज..

रस भक्त्ति थाल

पर मेरी प्रीत..बस मेरी जीत।

न बाट सकूँ ये रीत आज..

ये पगली सी..ये पगली.आज

तेरी गालियों में.घूमे..गोकुल सी आज

सुधबुध आज बिसराये जाये..

धुन गाये जाये धुन गाये जाये।

तन कृष्णा कृष्णा है

मन कृष्णा कृष्णा है

तेरी प्रीत की तृष्णा है।




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