साँवरिया..
साँवरिया..
रंग लगाकर चला गया
सांवरिया दिल चुरा ले गया
मन मोह लिया
दिल चुरा ले गया
मेरे दिल मे हज़ारों रंग भर गया,
साँवरिया रंग लगाकर चला गया।
प्रीत उनकी छोड़ गया
मेरे रोम रोम में बस गया,
पूछे सखी मेरी
क्या ये रोग तुझे लगा गया
मैं क्या बोलूं मैं क्या जानू
मेरी लाज ने मुझको मार दिया।

