मधुर मिलन
मधुर मिलन
श्याम ने बंसी बजाई।
राधा रानी दौडी आई।
आकुल- व्याकुल राधा बावरी,
वन- वन ढूँढ़े कृष्ण कन्हाई।।
खेल लुका-छिपी, खेले श्याम।
निरख लिया श्याम, राधा को,
पर न सामने आवै।
बार- बार छिप, पेड़ों बीच,
राधा को बहुत सतावै। ।
बेजा़र हो गई राधा रानी।
रोवण लागी बेचारी।
श्याम झट प्रगट हो,
आलिंगन राधा धर लीनी।।
पाकर श्याम का मधुर आलिंगन,
भूली, गिले- शिकवे सारे।
लागी, मन ही मन मुस्काने।
बैठ कदंब की डाली,
श्याम, मीठी- मीठी बातों से
राधा को बहलावै।।
हर्षित राधा, सुध तन- मन की भूली।
साॅंझ ढल गई, दिखने लगा ॲंधियारा ।
जिद, राधा ने जाने की पकडी।
हाथ पकड़ लिया, श्याम ने,
जाने न देवै। ।
कल फिर जल्दी आने का वादा लेवै,
तब ही जावण देवै।
भारी मन से राधा, चली बरसाने ग्राम।
मुड- मुड देखे श्याम को।
मन छूटा श्याम के पास।।